रविवार, 2 जनवरी 2011

Jupiter and Profession

दषम भाव या पंचम भाव पर गुरू के अधिक शुभ प्रभाव द्वारा फलित कार्य व्यवसायों में प्रमुख निम्नलिखित है-
वित्तीय कार्य - बैंक में कार्य, बैंक अधिकारी, बैंकर, फाइनेन्स प्रोफेषनल, कोषाध्यक्ष, अर्थषास्त्री, वित्तीय क्षेत्र का लेखाकार्य, चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट, कम्पनी सेक्रेटरी।
षिक्षा सम्बन्घी कार्य - षिक्षक, प्रोफेसर, षिक्षण संस्थाओं कोचिंग आदि के संचालक, धार्मिक गुरू, पुजारी, उपदेषक, समाज सेवा के कार्य
चिकित्सा या औषधि का कार्य - डाक्टर, वैद्य, दवा निर्माता, दवा विक्रेता, अस्पताल में कार्य, सेवाकार्य।
न्याय सम्बन्धी कार्य - वकील, जज, न्यायपालिका में कार्य या न्याय पालिका से सम्बन्धित कार्य, मैनेजमेंट इन ह्यूमेन रिसोर्सेज (एच.आर.एम.)।
अन्य - ज्वैलर, सुनार, किराना व्यवसायी, लेखक, ब्याज सूद से आय।
भूसुरदेवतानामुपासनाध्यापक रूप्मार्गात।
पुराणषास्त्रगम नीतिमार्गाद धर्मोपदेषे  -         जातक पारिजात
मांगल्य धर्म पौष्टिकमहत्व षिक्षादि यागपुरराष्ट्रे।
यानासन धान्यादे सुवेष्मपुत्रप्रभु जीवः  -          सारावली
जीवांषके भूसुरदेवताना समाश्रयाभ्द नृपतिप्रसादात्।
पुराणषास्त्रागमनीतिमार्गाद्धर्मेोपदेषेन कुसीदवृत्या -    फलदीपिका
उपरोक्त व्यवसायों में से सबसे अधिक सम्माननीय व लोकप्रिय व्यवसाय डाक्टर का है। डाक्टर, वैद्य, दवा औषधि पर सर्वाधिक अधिकार गुरू का ही है। गुरू के अप्रभावी, निर्बल दोषी होने पर डाक्टर बनना सम्भव नहीं है कहा जाये तो अतिषयोक्ति न होगी। इस व्यवसाय षिक्षा के प्रथम कारक गुरू, मंगल व सूर्य हैं। पहले के समय के पारिवारिक परम्परा से वैद्य बने जनों को छोड़ दें तो आधुनिक काल में डाक्टरी की षिक्षा अति महत्वाकांक्षी इच्छा व कार्यक्रम है। सुदृढ़ सूर्य द्वारा प्रदत्त इच्छाषक्ति के बिना यह सम्भव नहीं है। सूर्य का विज्ञान की षिक्षा, औषधि, औषधिविज्ञान पर पूर्ण अधिकार है।
इस षिक्षा व्यवसाय का प्रथम कारक गुरू व धनु राषि है। गुरू का मंगल तथा वृष्चिक राषि से सम्बन्ध डाक्टर बनाने में अति सहायक होता है। मंगल का रक्त, सर्जरी पर अधिकार होने से मंगल की डाक्टर के पेषे में महत्वपूर्ण भूमिका है। अतः मंगल की परख करनी अति आवष्यक है।इस व्यवसाय के लिये धनु राषि ,गुरू तथा वृष्चिक राषि व मंगल की भूमिका प्रमुख रूप से विचारणीय है।
अधिकतर डाक्टरों की पत्रिका में चन्द्र का लग्न, पंचम, चतुर्थ अथवा नवम भाव से सम्बन्ध अवष्य परिलक्षित होता है। आयु ,अरोगता आदि के लिए चन्द्र प्रथम विचारणीय होता हैं। नैसर्गिक मातृषक्ति व परिचर्या का प्रतीक चन्द्र चिकित्सक की पंजिका में शुभ भावों में होने पर ही उसे करूणा, सेवा व भावनाओं की तरलता दे सकता है।
डाक्टर बनने की सम्भावनाओं को पंजिका में ढूढने के लिए गुरू, सूर्य, चन्द्र ,मंगल तथा धनु, मीन, सिंह, कर्क, वृष्चिक व मेष राषियों पर विचार करना चाहिए। मंगल की राषियों में वृष्चिक राषि की इस षिक्षा व्यवसाय में अधिक भूमिका रहती है। मेष राषि नेतृत्व के अधिक गुण रखती है। अतः मैनेजमेंट पुलिस, सेना, राजनीति पर इसका अधिकार रहता है।
       डाक्टर के व्यवसाय में विषेषज्ञता के लिए गुरू व नवम, द्यम,पंचम भाव से सम्बन्धित ग्रह को देखना होता है। जैसे चंद्र तथा कर्क राषि हृदय रोग विषेषज्ञता का, मंगल सर्जन, सर्जरी का, सूर्य, शनि, मंगल अस्र्रििंोग विषेषज्ञता का, शुक्र स्त्री रोग विषेषज्ञता का, बुध नर्वस, स्नायु आदि के Õेत्र में विषेषज्ञता का फल प्रदान करता है । नवमेष दषमेष से इन ग्रहों के सम्बन्ध से उच्चषिक्षा, विषेषज्ञता का निर्धारण किया जा सकता है।

कुण्डली के जिन भावों से शरीर के जिन अंगों का विचार किया जाता है विषेषज्ञता निर्धारण में उस भाव विषेष का उत्तरदायित्व देखा गया है। उदारण के लिए दंत चिकित्सक के लिए द्वितीय भाव व वृष राषि (मुख) से दषम या नवम् भाव का सम्बन्ध पाया जाता है। इसी प्रकार हृदय रोग विषेषज्ञता में चतुर्थ भाव, कर्क राषि व चन्द्र की कुछ भूमिका रहती है। कन्धा गला इत्यादि के लिए तृतीय भाव की भूमिका रहती है।
आगे कुछ उदाहरणों के माध्यम से डाक्टर के व्यवसाय के लिए उपयुक्त ग्रह स्थिति के बारे में विस्तृत विचार किया जायेगा।